Gold Silver Reports — India’s gold jewellery exports to the UAE have halved in the first two months of 2017 as the country has imposed a 5% import duty on gold jewellery. As a result, jewellers like Malabar Gold & Diamonds, Popley & Sons and others, who have a presence in the UAE, are ramping up their capacities there.
Demand for Indian artisans, who are skilled in handcrafted jewellery, has also increased. Many artisans who lost their jobs due to demonetisation are showing interest to relocate to the UAE.
Post imposition of 5% import duty, there has been a spectacular increase in production of jewellery in Jebel Ali free-zone and Sharjah. Indian jewellers who have set up base in the Middle East have swung into action to beat local manufactur ers. We have operations in UAE and we are ramping up our capacity. But Indian exports to the region has dropped by 50% or more since January.
“UAE has introduced a 5% import duty on gold from January 1, 2017. Hence, we imported the gold jewellery required to meet the UAE demand for the first quarter of 2017 in December 2016. Our import of gold jewellery for the UAE market went up 400% in December 2016. Most companies operating in UAE would have done the same. Hence the decline in imports in January and February,“ said MP Shamlal, managing director, (international operation), Malabar Gold & Diamonds.
Malabar Gold & Diamonds have manufacturing units in UAE and other GCC countries to cater to local demand. We have increased production from these units. This consists of machine intensive products normally sourced from Far East. As for Indian handcrafted and skilled-artisan intensive jewellery, the import will continue to UAE.
However, the Malabar Gold executive said that import of jewellery to UAE will reduce in future as bullion is exempted from import duty which gives an advantage for local manufacturing.
करण जौहर ने इस हफ्ते दुनिया के सामने खुलासा किया कि वो पिता बन गए हैं। बॉलीवुड के जाने माने डायरेक्टर करण जौहर की शादी नहीं हुई है और उनके जुड़वा बच्चे सरोगेसी से हुए हैं। सरोगेसी यानि किसी और महिला की मदद से अपने बच्चे को पैदा करना। अब तक इस प्रक्रिया को आम भाषा में किराए का कोख भी कहा जाता था क्योंकि भारत में ये करोड़ों रुपये का कारोबार बन गया है। लेकिन सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द इस कारोबार को रोका जाये।
सरोगेसी के नए कानून पर बिल पेश किया गया है, जो संसद से अब तक पारित नही हुआ है। करण जौहार के एलान के बाद उनके कई बॉलीवुड दोस्तों ने हार्दिक शुभकामनाएं दी। लेकिन कई आलोचकों ने गंभीर सवाल भी उठाए हैं। समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने तो निम्न स्तर की भाषा का प्रयोग करके करण जौहर पर पर्सनल अटैक भी कर डाला।
सरोगेसी से जुड़वा बच्चों के पिता बने करण जौहर ने बेटे का नाम यश और बेटी का नाम रूही रखा है। करण ने बच्चों का नाम अपने माता-पिता के नाम पर रखा है। हालांकि उनका कहना है कि सरोगेसी से बच्चों का फैसला उनके लिए बेहद मुश्किल भरा रहा है।
गौरतलब हो कि 21 नवंबर 2016 को लोकसभा सरोगेसी बिल पेश किया गया था जिसे कैबिनेट की हरी झंडी मिल गई है। लेकिन अभी तक इस बिल को संसद में मंजूरी का इंतजार है।
सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2016 के तहत विदेशी दंपत्ति भारत में सरोगेसी से बच्चा नहीं कर सकेंगे और कमर्शियल सरोगेसी पर भी पूरी तरह से रोक है। सरोगेसी का सहारा महज बच्चा पैदा करने में अक्षम दंपति ही ले सकते हैं। बिल में कहा गया है कि सरोगेट मदर नजदीकी रिश्तेदारों को ही बनाया जा सकेगा। बिल के तहत गोद लिए बच्चे वाले माता-पिता को भी सरोगेसी की इजाजत नहीं है और एक महिला एक बार ही सरोगेट मां बन सकती है। सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2016 के तहत अविवाहित को सरोगेट मां नहीं बनाया जा सकता और इसके लिए सरोगेसी क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा चाहिए।
सरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दूसरी महिला किसी के बच्चे को अपनी कोख में पालती है। लेकिन देश में सरोगेसी का कारोबार भी तेजी से बढ़ा है। देश में 2000 से ज्यादा सरोगेसी क्लिनिक है और भारत में 7 अरब डॉलर का कारोबार है। सरोगेसी से बच्चे में 2-5 लाख रुपये का खर्च आता है।
भारत में विवाहित, अविवाहित दोनों बच्चा गोद ले सकते हैं। हालांकि बच्चे और गोद लेने वाले में 21 साल का अंतर जरूरी है। इतना ही नहीं नेचुरल पैरेंट आपसी सहमति से ही गोद दे सकते हैं। गोद देते समय बच्चे की उम्र 15 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और हिंदू दत्तक एवं भरणपोषण कानून के तहत रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है।
गोद लेने की प्रक्रिया के तहत गोद लेने वाले को प्रमाणित एजेंसी में अर्जी देनी पड़ती है और वह एजेंसी सामाजिक कार्यकर्ता से दंपति की निगरानी करती है। पारिवारिक, आर्थिक, मानसिक स्थिति की जांच की जाती है। साथ ही खोद लेने के लिए वित्तीय स्थिति, बैंक स्टेटमेंट जैसे दस्तावेज देने पड़ते हैं। इसके बाद सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी (केयर) एनओसी देती है।
करण जौहर तो सरोगेसी कानून के आने के पहले पिता बनने में कामयाब हो गए। लेकिन ऐसे और लोगों का क्या जो इस कानून के लागू होने के बाद मां-बाप नहीं बन पाएंगे। क्या ऐसे किसी व्यक्ति को माता या पिता बनने का हक नहीं जिसकी शादी ना हुई हो। प्रस्तावित कानून के मुताबिक सरोगेसी बहुत ही मुश्किल हो जाएगी। क्या ऐसा कानून आना चाहिए और क्या करण जौहार के पिता बनने पर सवाल उठाना जायज है।