Chhoti Diwali 2019: नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. वैसे तो नरक चतुर्दशी धनतेरस (Dhanteras) के अगले दिन मनाई जाता है, लेकिन पंचांग के अनुसार इस बार यह दीवाली (Diwali) की ही सुबह पड़ रही है.
Chhoti Diwali: धनतेरस (Dhanteras) के अगले दिन और दीवाली (Diwali) से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) मनाई जाती है. इसे यम चतुर्दशी (Yam Chaturdashi) और रूप चतुर्दशी (Roop Chaturdashi) या रूप चौदस भी कहते हैं. यह पर्व नरक चौदस (Narak Chaudas) और नरक पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है. आमतौर पर लोग इस पर्व को छोटी दीवाली (Chhoti Diwali) भी कहते हैं.
इस दिन यमराज की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति सूर्योदय से पूर्व अभ्यंग स्नान यानी तिल का तेल लगाकर अपामार्ग (एक प्रकार का पौधा) यानी कि चिचिंटा या लट जीरा की पत्तियां जल में डालकर स्नान करता है, उसे यमराज की विशेष कृपा मिलती है. नरक जाने से मुक्ति मिलती है और सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. स्नान के बाद सुबह-सवेरे राधा-कृष्ण के मंदिर में जाकर दर्शन करने से पापों का नाश होता है और रूप-सौन्दर्य की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि महाबली हनुमान का जन्म इसी दिन हुआ था इसीलिए बजरंगबली की भी विशेष पूजा की जाती है.
नरक चतुर्दशी कब है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. वैसे तो नरक चतुर्दशी धनतेरस के अगले दिन मनाई जाता है, लेकिन पंचांग के अनुसार इस बार यह दीवाली की ही सुबह पड़ रही है. इस बार नरक चतुर्दशी 27 अक्टूबर को है.
नरक चतुदर्शी की तिथि और शुभ मुहूर्त
नरक चतुदर्शी की तिथि: 27 अक्टूबर 2019
चतुदर्शी तिथि प्रारंभ: 26 अक्टूबर 2019 को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट से
चतुदर्शी तिथि समाप्त: 27 अक्टूबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक
अभिज्ञान स्नान मुहूर्त: 27 अक्टूबर 2019 को सुबह 05 बजकर 16 मिनट से सुबह 06 बजकर 33 मिनट तक
कुल अवधि: 01 घंटे 17 मिनट
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नरक चतुर्दशी के दिन पूजा करने की विधि
- मान्यताओं के अनुसार नरक से बचने के लिए इस दिन सूर्योदय से पहले शरीर में तेल की मालिश करके स्नान किया जाता है.
- स्नान के दौरान अपामार्ग की टहनियों को सात बार सिर पर घुमाना चाहिए.
- टहनी को सिर पर रखकर सिर पर थोड़ी सी साफ मिट्टी रखें लें.
- अब सिर पर पानी डालकर स्नान करें.
- इसके बाद पानी में तिल डालकर यमराज को तर्पण दिया जाता है.
- तर्पण के बाद मंदिर, घर के अंदरूनी हिस्सों और बगीचे में दीप जलाने चाहिए.
यम तर्पण मंत्र
यमय धर्मराजाय मृत्वे चान्तकाय च |
वैवस्वताय कालाय सर्वभूत चायाय च ||
नरक चतुर्दशी के दिन कैसे करें हनुमान जी की पूजा?
मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन भगवान हनुमान ने माता अंजना के गर्भ से जन्म लिया था. इस दिन भक्त दुख और भय से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी की पूजा-अर्चना करते हैं. इस दिन हनुमान चालीसा और हनुमान अष्टक का पाठ करना चाहिए.
नरक चतुर्दशी को क्यों कहते हैं रूप चतुर्दशी?
मान्यता के अनुसार हिरण्यगभ नाम के एक राजा ने राज-पाट छोड़कर तप में विलीन होने का फैसला किया. कई वर्षों तक तपस्या करने की वजह से उनके शरीर में कीड़े पड़ गए. इस बात से दुखी हिरण्यगभ ने नारद मुनि से अपनी व्यथा कही. नारद मुनि ने राजा से कहा कि कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन शरीर पर लेप लगाकर सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के बाद रूप के देवता श्री कृष्ण की पूजा करें. ऐसा करने से फिर से सौन्दर्य की प्राप्ति होगी. राजा ने सबकुछ वैसा ही किया जैसा कि नारद मुनि ने बताया था. राजा फिर से रूपवान हो गए. तभी से इस दिन को रूप चतुर्दशी भी कहते हैं.