अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो (Mike Pompeo) ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) पर भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया और ताइवान के खिलाफ हमले (India China War) की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
पॉम्पियो ने कहा कि स्ट्रैटेजिक फोर्स को एशिया की ओर रवाना किया जा रहा है ( US army moves in Asia) । संकेत साफ है कि डोनाल्ड ट्रंप चीन की किसी हिमाकत को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं। हो सकता है वो पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ( John F Kennedy) से दो कदम दूर का रास्ता तय करें।
1962 में भारत-चीन जंग के समय पीएम जवाहरलाल नेहरू ( Jawaharlal Nehru) ने केनेडी से मदद की गुहार लगाई थी। नवंबर की सर्दियों में चीन की People’s Liberation Army ( PLA ) बोमडिला की तरफ तेजी से बढ़ रही थी। नेहरू ने केनेडी से US Air Force के 10 स्कवाड्रन मांगे । तब क्यूबा के मिसाइल संकट से उबरे अमेरिका ने जंग में सीधी भागीदारी से मना कर दिया लेकिन रणनीतिक मदद की बात स्वीकार कर ली।
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अमेरिकी जहाजों से भारी मात्रा में असलाह और गोला बारूद कोलकाता एयरपोर्ट पहुंचने लगे। कुछ ही दिनों बाद जंग समाप्त हो गया। अगर इस तरह के हालात लद्दाख ( India China Border Dispute in Ladakh ) गलवान घाटी ( Galwan Valley) और डेस्पांग में चीनी सेना की हरकतों से पैदा होते हैं तो ट्रंप शायद केनेडी से दो कदम आगे बढ़ना चाहेंगे.